जरीर
جرير
जरीर, एक अरबी कवि थे, जिन्होंने उमय्यद काल में कविता की। उनकी कविताएं मुख्यतः हास्य, व्यंग्य और ताना मारने वाली थीं। जरीर की कविताओं में उनकी भाषायी चतुराई और समाज के विभिन्न पहलुओं पर उनकी तीक्ष्ण नजर स्पष्ट झलकती है। उन्होंने अपनी कला के माध्यम से अरबी काव्यशास्त्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया। जरीर की रचनाओं में उनके विरोधियों के खिलाफ शास्त्रीय विद्वतापूर्ण आलोचना भी शामिल है, जिसे आज भी अरबी साहित्य में सराहा जाता है।
जरीर, एक अरबी कवि थे, जिन्होंने उमय्यद काल में कविता की। उनकी कविताएं मुख्यतः हास्य, व्यंग्य और ताना मारने वाली थीं। जरीर की कविताओं में उनकी भाषायी चतुराई और समाज के विभिन्न पहलुओं पर उनकी तीक्ष्ण नज...