4दीवानديوان الأحوصअहवास अंसारी - 105 अ.ह.الأحوص - 105 अ.ह.शैलियोंकविताأقول التماس العذر لما ظلمتنيوحملتني ذنبا وما كنت مذنبا2पृष्ठ 4प्रतिलिपिसाझा करेंAI से पूछें