17दीवानديوان الباخرزيइब्न हसन बख़रज़ी - 467 अ.ह.الباخرزي - 467 अ.ह.शैलियोंकविताفديتك جار علي الفراقوحملني العشق ما لا يطاق !2पृष्ठ 18प्रतिलिपिसाझा करेंAI से पूछें