The Core in Parsing Al-Busiri's Poem
العمدة في إعراب البردة قصيدة البوصيري
তদারক
عبد الله أحمد جاجة
প্রকাশক
دار اليمامة للطباعة والنشر
সংস্করণের সংখ্যা
الأولى
প্রকাশনার বছর
١٤٢٣ هـ
প্রকাশনার স্থান
دمشق
জনগুলি
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The Core in Parsing Al-Busiri's Poem
মুঅল্লিফ আল-উমদা ফি ই'আরাব আল-বুরদা d. Unknownالعمدة في إعراب البردة قصيدة البوصيري
তদারক
عبد الله أحمد جاجة
প্রকাশক
دار اليمامة للطباعة والنشر
সংস্করণের সংখ্যা
الأولى
প্রকাশনার বছর
١٤٢٣ هـ
প্রকাশনার স্থান
دمشق
জনগুলি
(١) في الأصل: تركا لشيء. (٢) لا يقال (الزّهد) إلا في الدين خاصة، وهذا التفصيل نقله أئمة اللغة عن الخليل (ضدّ رغب) . وزهد فيه، وعنه، بمعنى تركه وأعرض عنه. وفي حديث (الزهري) عن الزهد. فقال: «هو ألا يغلب الحلال شكره ولا الحرام صبره» انظر تاج العروس (زهد) . (٣) اسم استفهام مبني على الفتح في محل نصب مفعول به مقدم و(كيف) لا تعلق: راجع حواشي البيت السادس في ص ٦٨. (٤) في شرح البردة للأزهري ص ٢٦ «بمعنى (ما) النافية» .
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