أسكته يا رحيو، أسكته.
رحيو (بصوت منخفض) :
بل دعه يتكلم، دعه يتكلم.
ساتني :
إني جئتكم لأكشف عنكم غطاءكم، وأذهب عنكم جهالتكم، ولأدمر أوثانكم وأحطم أصنامكم، جئت لأهديكم إلى الحق، وأرشدكم إلى صراط مستقيم أفتعبدون ما لا ينفعكم شيئا ولا يضركم، أف لكم ولما تعبدون.
17
رحيو (إلى وكيله عندما يراه يقترب من ساتني ليسكته) :
دعه يتكلم. (بينما ساتني يتكلم، ينصرف القوم عنه، وتذهب مييريس بيوما، وتنزل الستار وساتني لا يزال يتكلم.)
هوامش
الفصل الثاني
অজানা পৃষ্ঠা